छत्तीसगढ़ में चुनाव से पहले कांग्रेस कर सकती है शराबबंदी..??

छत्तीसगढ़ शराब पीने और बेचने के मामले में पूरे देश में टॉप 3 पर है। राज्य सरकार की कमाई का एक बड़ा जरिया राजस्व के रूप में शराब से मिलता है। ऐसे में शराबबंदी को लेकर एक बड़ी खबर निकल कर आ रही है। कयास लगाए जा रहे हैं कि साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के पहले कांग्रेस शराबबंदी कर सकती है। क्योंकि शराबबंदी को लेकर एक प्रतिनिधिमंडल बिहार रवाना हुआ है। आपको बता दें कि बिहार में शराबबंदी पिछले कई सालों से है और शराबबंदी के नफा नुकसान जानने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार का एक अध्ययन दल वहां पहुंचने वाला है। इसके बाद यह दल मिजोरम रवाना होगा। इसकी जानकारी आबकारी मंत्री कवासी लखमा ने मीडिया को दी है।
छत्तीसगढ़ के आबकारी मंत्री ने इस विषय पर बताया कि शराबबंदी पर एक अध्ययन दल बिहार के लिए रवाना हुआ है। इसके बाद यह दल मिजोरम जाएगा। दोनों जगहों के अध्ययन के बाद इसकी रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपी जाएगी।
आबकारी मंत्री ने यह भी बताया कि छत्तीसगढ़ में शराबबंदी को लेकर कुछ कहना जल्दबाजी होगी। बस्तर में लोग पूजा पाठ में शराब का उपयोग करते हैं। ऐसे में बस्तर में शराबबंदी का सवाल ही नहीं उठता। भाजपा के लोग सिर्फ झूठ बोलते हैं। वो लोग ना तो शराबबंदी की बैठक में आते हैं। नाही शराबबंदी के लिए बनी कमेटी में अपने सदस्य भेजते हैं।
क्यों अटका है शराबबंदी का वादा..
छत्तीसगढ़ में शराबबंदी पिछले 4 सालों से एक बड़ा मुद्दा बना हुआ है। कांग्रेस ने अपने आमजन घोषणापत्र में शराबबंदी का वादा किया था, मगर 4 साल बीतने के बाद भी कांग्रेस सरकार द्वारा छत्तीसगढ़ में शराबबंदी नहीं की गई है। विपक्ष में बैठी भाजपा इसे लेकर लगातार हमलावर होती रही है। इससे उलट कांग्रेस का कहना है कि शराबबंदी का फैसला जल्दी बाजी में नहीं लिया जा सकता। लॉकडाउन के समय शराब ना मिलने की के कारण कई मौतें हुई थी। सत्यनारायण शर्मा की अध्यक्षता में शराबबंदी को लेकर एक अध्ययन कमेटी बनाई गई है, जिसमें सभी पार्टियों के सदस्य आमंत्रित हैं। यह कमेटी इस बात का अध्ययन करेगी की जिन राज्यों में शराबबंदी हुई है, वहां इसके क्या परिणाम देखने को मिले हैं। इसके अलावा छत्तीसगढ़ी का आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र है। जहां शराब वहां की जीवन शैली में शामिल है। सारी बातों को ध्यान में रखकर अध्ययन के पश्चात ही शराबबंदी पर फैसला लिया जाएगा।