रायगढ़! जहाँ विजय ने 2018 में बदल दिया था चुनावी समीकरण! पहले भी निर्दलीयो ने दी है यहां.. धाकड़ पार्टियों को दमदार चुनौतियां!

रायगढ़। रायगढ़ के भूतपूर्व भाजपा विधायक विजय अग्रवाल ने रायगढ़ विधान सभा से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी ताल ठोंककर रायगढ़ सीट का जहां सियासी समीकरण बदल दिया था जिसका नतीजा रायगढ़ सीट से कांग्रेस की जीत के रूप में सामने आया था.
5 साल पहले..
विजय अग्रवाल ने निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में 2018 में रायगढ सीट के चुनाव को टी वी छाप पर लड़कर चुनाव को दिलचस्प ,रोचक और संघर्षपूर्ण बना दिया है। विजय की निर्दलीय उम्मीदवारी से राष्ट्रीय दलों का चुनावी गणित बुरी तरह से गड़बड़ा गया था । इस चुनाव में कांग्रेस के प्रकाश नायक को69062 ,बीजेपी के रोशनलाल को 54482 तथा विजय निर्दलीय को 42 914 वोट मिले थे।
चुनावी इतिहास..
ऐसा बिलकुल नहीं है कि रायगढ़ विधानसभा के चुनावी इतिहास में किसी निर्दलीय ने विजय अग्रवाल के रूप में पहली दमदार चुनोती पेश की है ।इसके पूर्व भी ऐसा दो बार हो चुका है। पहली बार 1980 में रामकुमार अग्रवाल ने शेर छाप पर और दूसरी बार 1990 मे पी के तामस्कर ने निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मोर छाप पर रायगढ़ विधान सभा सीट से चुनाव लड़कर चुनाव को रोचक ,दिलचस्प और संघर्षपूर्ण बना दिया था।

1980..
1977 में आपातकाल के बाद हुए चुनाव में जबकि पूरे देश मे कांग्रेस विरोधी लहर चल रही थी उसके बावजूद रायगढ़ से कांग्रेस से रामकुमार अग्रवाल चुनाव जीत गए थे परन्तु 1980 के मध्यावधि चुनाव में कांग्रेस आश्चर्य जनक तरीके से आशा के विपरीत रामकुमार को टिकट न देकर राजनीति में एकदम अनजान से चेहरे कृष्णकुमार गुप्ता को अपना उम्मीदवार बनाया था।कांग्रेस के इस कदम से रामकुमार अग्रवाल के समर्थकों में भारी आक्रोश व्याप्त हो गया और इन्होंने धनसी धर्मशाला में एक बैठक करके रामकुमार अग्रवाल के ऊपर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का आग्रह किया और दबाव बनाया जिसके रामकुमार अग्रवाल निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनावी मैदान में उतर गए ,उन्हें शेर का चुनाव चिह्न मिला था ।यह चुनाव रामकुमार अग्रवाल ने शेर की तरह ही लड़ा था पर वो चुनाव हार गए।
इस चुनाव में रामकुमार अग्रवाल को 12142 वोट मिले थे जबकि कांग्रेस के कृष्ण कुमार गुप्ता को 31877 वोट मिले थे।
1990..
1990 के विधानसभा चुनाव में समझौते के तहत रायगढ़ सीट जनता दल के खाते में चली गई थी और सन्तोष राय विपक्ष के साझा उम्मीदवार थे जबकि कांग्रेस की तरफ से कृष्ण कुमार गुप्ता उम्मीदवार थे ।रायगढ़ सीट भाजपा को ना मिलने से नाराज भाजपा कार्यकर्ताओं के एक गुट ने पी के तामस्कर को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनावी मैदान में रायगढ़ से उतार दिया जिन्हें दिलीप सिंह जूदेव का समर्थन प्राप्त था परंतु भाजपा के दूसरे गुट ने समर्थन के मामले में अपने हाथ खींच लिए ।इसके बावजूद पी के तामस्कर ने अपने कार्यकर्ताओं के सहयोग से पूरे दमखम के साथ चुनाव लड़ा और चुनाव को कांटे के संघर्ष के रूप में तब्दील कर दिया ,हालांकि पी के तामस्कर चुनाव हार गए।इस चुनाव में कांग्रेस के कृष्ण कुमार गुप्ता को 29860और पी के तामस्कर को 22783 वोट मिले थे ।
2023…
2023 के विधानसभा चुनाव के लिए जिस तरह से छोटे -छोटे दलों के प्रतयाशी और निर्दलीय उम्मीदवारों के संभावित नाम सामने आ रहे हैं और यदि वो वास्तव में चुनाव लड़ते हैं तो फिर रायगढ़ विधानसभा के सियासी समीकरणों को वो कितना प्रभावित कर पाएंगे या सिर्फ हवा के बुलबुले साबित होंगे यह तो आने वाला वक्त बताएगा। दूसरी तरफ इस बार रायगढ़ विधानसभा सीट से विजय अग्रवाल 2023 में भाजपा की टिकट के प्रबल दावेदार थे और अंत तक टिकट की रेस में बने हुए थे लेकिन उन्हें अंततः टिकट नहीं मिली लेकिन विजय ने इस बार निर्दलीय लड़ने का निर्णय नहीं किया और भाजपा की विजय के वाहक बने नजर आ रहे हैं। देखना यह भी है कि उनका प्रयास और मेहनत कितना रंग लाता है ?
~अनिल पाण्डेय , वरिष्ठ पत्रकार, राजनीतिक विश्लेषक
