रायगढ़ मेयर के खिलाफ भाजपा का अविश्वास प्रस्ताव! नंबर का खेला या बाहरी ताकत का सपोर्ट..? नेता प्रतिपक्ष की दुविधा.. प्रकाश की मुश्किलें..

रायगढ़। आज रायगढ़ नगर पालिक निगम की मेयर जानकी काटजू के खिलाफ भाजपा ने अविश्वास प्रस्ताव रायगढ़ जिला कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत किया है। भाजपा के पार्षद दल ने महापौर पर 7 आरोप लगाए हैं और उन्हें पद से हटाने का फैसला किया है। भाजपा ने महापौर पर पक्षपात करने कमीशन खोरी विकास कार्य बाधित करने, सफाई, डेंगू ,अमृत मिशन, प्रधानमंत्री आवास, समेत कई कल्याणकारी योजनाओं को अटकाने का आरोप लगाया है।
देर क्यू..??
विधानसभा चुनाव से पहले इस अविश्वास प्रस्ताव की हवा करीब अगस्त की शुरुआती दिनों से ही उड़ रही थी। अविश्वास प्रस्ताव की आग में कांग्रेस के लोग ही घी डाल रहे थे। सूत्रों के मुताबिक बताया जा रहा है कि इस अविश्वास प्रस्ताव के पीछे भाजपा से ज्यादा कांग्रेस की अंदरूनी कलह और निगम में वर्चस्व का खेल है। अविश्वास प्रस्ताव तो कब का दे दिया जाना था मगर भाजपा के पार्षदों में ही इसके लिए सहमति नहीं थी। यही वजह है कि इस अविश्वास प्रस्ताव के लिए 15 से ज्यादा दिन लग गया।
नंबर का खेला या बाहरी ताकत का सपोर्ट
रायगढ़ नगर निगम में कुल 48 वार्ड हैं। जिसमें कांग्रेस के खाते में 26 और भाजपा के खाते में 22 सीट आई थी। मेयर और सभापति का चुनाव इन्हीं पार्षदों की वोटिंग से होना था। मेयर के चुनाव में कांग्रेस के मेयर प्रत्याशी जानकी काटजू को कांग्रेस के 26 के 26 वोट मिले थे और इसके उलट सभापति जयंत ठेठवार को 30 वोट मिले थे। जाहिर से बात है इसमें भाजपा के चार क्रॉसिंग वोट भी शामिल थे।
राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक अविश्वास प्रस्ताव को लेकर भाजपा के पार्षदों की आपसी सहमति के साथ नेता प्रतिपक्ष पूनम सोलंकी की भी कोई खास रुचि नहीं थी। इसके पीछे वजह है कि एक तो संख्या बल में कमी क्योंकि अविश्वास प्रस्ताव पास करने के लिए भाजपा के पास 25 वोट होने चाहिए। भाजपा के पास 22 पार्षद थे मगर एक पार्षद के निधन के बाद उसके पास अब 21 पार्षद ही बचे हैं। ऐसे में जरूरी संख्या बल भाजपा कहां से जुटाती। दूसरा यह की अविश्वास प्रस्ताव का मुद्दा भी वही पुराना घिसा-पीटा था। यह भाजपा के लिए विधानसभा चुनाव के समय आंधी मुंह गिरने वाली बात थी। कहीं ना कहीं से उन्हें किसी बाहरी ताकत द्वारा क्रॉस वोटिंग की विश्वसनीयता मिलने के बाद ही आज प्रस्ताव के लिए जिला कलेक्टर को भेजा गया।
नेता प्रतिपक्ष की दुविधा
वैसे तो भाजपा पूनम सोलंकी इस बार खुद आगामी विधानसभा चुनाव में विधायक की दौड़ में शामिल है। इस महीने उन्होंने इसके लिए काफी उठापटक भी की है। ऐसे अगर अविश्वास प्रस्ताव पास हो जाता तो ऐसे में उनका नेता प्रतिपक्ष पद भी हाशिए पर चला जाएगा। क्योंकि फिर नए मेयर का चुनाव होता और नया मेयर जो कि एससी वर्ग के लिए आरक्षित है, वो मिलने से रहा! क्योंकि वह पिछड़ा कैटिगरी में अति है। उन्हें अधिक से अधिक एमआईसी मेंबर से ही संतोष करना पड़ता..! और दूसरा यह अगर या अविश्वास प्रस्ताव फेल हो जाता है तो, नेता प्रतिपक्ष होने के नाते हार की जिम्मेदारी सिर्फ उनकी होगी। लेकिन विधानसभा चुनाव की उम्मीदवारी के लिए नेता प्रतिपक्ष का पद तो उनके कद और दावेदारी दोनों को बढ़ाता है। राजनीतिक दृष्टिकोण से देखा जाए तो उनके लिए इस समय अविश्वास प्रस्ताव सही फैसला नहीं होता। खैर देर-सबेर कई तिगड़म के बाद आखिरकार अविश्वास प्रस्ताव के लिए सहमति देना ही पड़ा।
प्रकाश की मुश्किलें..
राजनीति है इसमें यह सब होता है अगर ना हो तो राजनीति किस बात की। अगर नंबर गेम को देखा जाए तो अविश्वास प्रस्ताव का पास होना नामुमकिन दिखाई देता है। ऐसे में अविश्वास प्रस्ताव पास हो जाता है तो विधानसभा चुनाव से पहले यह कांग्रेस की तगड़ी पराजय होगी। रायगढ़ निगम में रायगढ़ विधायक प्रकाश नायक की प्रतिष्ठा भी दांव पर लगी है क्योंकि रायगढ़ निगम मेयर और विधायक प्रकाश नायक की जुगलबंदी काफी अच्छी है। लेकिन विधायक प्रकाश नायक इस समय अपनी सीट बचाने में प्रयासरत है। वजह है यहां कांग्रेस विधायक प्रकाश नायक की विधायकी को ललकारने के लिए एक नहीं दर्जनों दावेदार पैदा हो गए हैं। अभी तक ब्लॉक कांग्रेस के पास 21 उम्मीदवार अपनी दावेदारी पेश कर चुके हैं। इसमें सबसे अप्रत्याशित है, सभापति का दावेदार होना जो पिछली बार उनकी चुनाव में कृष्ण की तरह सारथी की भूमिका में प्रकाश के साथ थे मगर.. इस बार रथ की लगाम और धनुष दोनों अपने हाथ में लेने का फैसला किया है। मेयर और सभापति की तनातनी जगजाहिर है। अब तो वह भी विधायक जी के कंपीटीटर हो गए हैं। ऐसे वक्त में प्रकाश नायक लिए भी यह अविश्वास प्रस्ताव बहुत बड़ा सिर दर्द है।
भाजपा का रायगढ़ मेयर पर लगाया गया आरोप
- यह विदित है, कि उपरोक्त नगरपालिक निगम रायगढ़ में महापौर एक विशिष्ट दल से संबंधित है एवं होने से महापौर के द्वारा अन्य पार्षदों के साथ पक्षपातपूर्ण कार्य किया जा रहा है, जिससे विपक्षी दल के चाहों का कार्य निरंतर प्रभावित हो रहा है।
- यह भी दर्शित है कि 3.5 वर्षों से भी अधिक समय से शहर सरकार व उनकी महापौर के द्वारा शहर के वाहों में आज पर्यंत तक मूलभूत सुविधाएँ का अभाव है, जिससे वार्ड के प्रगति एवं विकास कार्य बाधित हैं, स्वच्छता एवं शुद्ध पेयजल देने में भी यह सरकार विफल साबित हुई है।
- नगर में चहु और गंदगी व्याप्त है, वर्षा ऋतु में भारी बारिश के चलते सभी नाले-नालियों का पानी प्रमुख सड़कों में बहता है, उक्त संबंध में कोई वैकल्पिक व्यवस्था न होने से गंभीर बीमारियों जैसे डेंगू और मलेरिया से नगर के लोग प्रभावित हो रहे हैं। यह भी विदित हो कि इसी वजह से विगत वर्ष डेंगू जैसे गंभीर बीमारी के कारण से कई परिवारों ने आपने सदस्य खोये है।
- यह भी उल्लेखित है कि नगरपालिक निगम रायगढ़ की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं है, जो बजाव सुधरने के दिनोदिन बिगड़ती ही जा रही है। जिससे निगम के कर्मचारियों को प्रतिमाह समय पर वेतन भी प्राप्त नहीं हो रहा है। नगरपालिक निगम का स्थापना व्यय 65 प्रतिशत होना चाहिए, जो बढ़कर उससे अधिक पहुंच गया है। महापौर के
- द्वारा नगरपालिक निगम की आर्थिक स्थिति सुधारने हेतु कोई सार्थक पहल भी नहीं की जा रही है। जिससे नगरपालिक निगम की तमाम व्यवस्थाएं लगातार प्रभावित हो रही है। महापौर के अदूरदर्शी निर्णयों से निगम से प्रतिहोने वाले जनहित से जुड़े कार्य, स्वच्छता, स्वास्थ्य, पेयजल आदि निरंतर प्रभावित बाधित हो रहे हैं। जिसका प्रतिकूल प्रभाव शहर के आमजनो पर पड़ रहा है।
- नगरनिगम में हर विभाग में भारी भ्रष्टाचार हो रहा है, लोक कर्म विभाग में टेडर मैनेज कर अपने चहेते ठेकेदारो को कार्य आमंटित किया जाकर भारी कमीशन लिया जा रहा है। मशीनरी/निविदा/दुकान आवंटन, बिजली सामग्री पेवल सामग्री स्वच्छता सामग्री आदि सभी विभागों में खरीदी में कमिशन का गंदा खेल खेलकर निगम को अत्यधिक हानि अपनी जेब गर्म करने का कार्य किया जा रहा है।
- यह भी उल्लेखित है कि नगर में स्थित बाड़ों की नालियों एवं सड़कों की सफाई व्यवस्था का दायित्व नगरपालिक निगम का है, उक्त संबंध में निरंतर यह देखा जा रहा है कि प्रत्येक वार्ड में स्थित नालियों एवं सड़कों की सफाई स्वस्थको अंदाज किया जा रहा है। जिससे नगर की सफाई व्यवस्था ध्वस्त है, एवं इस संबंध में भी नगर में जन आकोश है, कि नगरनिगम के द्वारा यथोचित कर प्राप्त करने के पश्चात भी उक्त व्यवस्थाओं को दुरुस्त नहीं किया जा रहा है, इस संबंध में यह भी लगातार देखा जा रहा है कि महापौर के द्वारा सफाई व्यवस्था को लेकर नगर की स्वच्छता के संबंध में कोई समुचित योजना नहीं है, और इस दिशा पर कि कोई योजना बनाकर महापौर द्वारा कोई प्रयास नहीं किये जा रहे है।
- 2019 के चुनाव के घोषणा पत्र में किये गए किसी भी वादे को पूरा करने में यह सरकार तथा महापौर जी विफल रही है। पोषित योजनायें अमृत मिशन (शहरी) के अंतर्गत आने वाले प्रधानमंत्री आवास, हर घर नल जल योजना, सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट जैसी कई महत्वपूर्ण योजनाएँ आज भी शहर सरकार की कार्यशैली की वजह से अटकी पड़ी है, जिसकी पूरी जिम्मेदारी माननीय महापौर एवं शहर सरकार की है जो की अपना विश्वास नगर पालिक निगम तथा आम जन में खो चुकी है।

