Raigarh News

लैलूंगा में बगावत! सुरेन्द्र सिदार का निर्दलीय लड़ने का ऐलान.. मुश्किल में कांग्रेस! हो सकता है त्रिकोणीय संघर्ष..

रायगढ़। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव के लिए कांग्रेस प्रत्याशी की घोषणा के बाद रायगढ़ जिले के लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र से बगावत की खबर आ रही है। यहां सिटिंग विधायक चक्रधर सिदार की जगह विद्यावती सिदार को कांग्रेस ने अपना प्रत्याशी बनाया है। कांग्रेस प्रत्याशी विद्यावती सिदार की बात करे तो वो लैलूंगा से पूर्व विधायक प्रेमसिंह सिदार की पुत्रवधू है। राजनीति से काफी दिनों से जुड़ी है। पूर्व बीडीसी और वर्तमान में ग्रामीण कांग्रेस की अध्यक्ष पद पर हैं।

लैलूंगा में बगावत! सुरेन्द्र सिदार का निर्दलीय लड़ने का ऐलान.. मुश्किल में कांग्रेस! हो सकता है त्रिकोणीय संघर्ष..
कांग्रेस प्रत्याशी विद्यावती सिदार

इसी बीच आज सुबह लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र के कद्दावर कांग्रेस नेता सुरेंद्र सिदार ने बगावत का बिगुल बजा दिया है और उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा भी कर दी है। सुरेंद्र सिदार जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं। तमनार क्षेत्र में उनकी काफी पकड़ मानी जाती है।

लैलूंगा में बगावत! सुरेन्द्र सिदार का निर्दलीय लड़ने का ऐलान.. मुश्किल में कांग्रेस! हो सकता है त्रिकोणीय संघर्ष..
सुरेन्द्र सिदार की फेसबुक पोस्ट

लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र को भौगोलिक स्थिति से समझा जाए तो यह तमनार और लैलूंगा दो बड़े तहसील में बटा हुआ है। जीत का आंकड़ा देखा जाए तो ज्यादातर तमनार क्षेत्र से ही विधायक निकल कर आते हैं। सुरेंद्र सिदार कई सालों से विधायक के लिए जमीनी संघर्ष करते नजर आ रहे हैं। हाल के कुछ सालो में लोकप्रियता और राजनीतिक कद दोनो काफी बढ़ोतरी हुई है। ऐसे में उनकी बगावत कांग्रेस पार्टी को सीधे सीधे प्रभावित करेगी, इसमें किसी प्रकार की कोई शंका या संशय नहीं है।

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सुरेंद्र सिदार

क्यों कट गया सिटिंग एमएलए का पत्ता..??

भाजपा ने इस विधानसभा सीट पर पहले ही पूर्व विधायक सुनीति सत्यानंद राठिया को अपना उम्मीदवार घोषित किया हैं। आपको बता दे कि उनके पति सत्यानंद राठिया भी विधायक रह चुके हैं। भारतीय जनता पार्टी के महिला कार्ड के आगे कांग्रेस ने भी वर्तमान विधायक की टिकट काटकर महिला उम्मीदवार को टिकट दिया है। देखा जाए तो वर्तमान विधायक चक्रधर सिदार का सीधापन, बेदाग छबि और राजनीतिक अज्ञानता ही उनके लिए घातक साबित हुई। किसी भी काम के लिए दबाव और प्रभाव बनाने में उन्होने कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई! चाहे वह क्षेत्र के विकास की बात हो या फिर कार्यकर्ताओं के हित की। इसी कारण उनके करीबी और खास लोग उतना फायदा नहीं उठा पाए, जितने की उम्मीद की गई थी.. वजह यही हुई कि उनके करीबी ही उनसे काफी नाराज चल रहें थे और उनपर निष्क्रियता का टैग लगा दिया गया और अटकलों के मुताबिक़ पार्टी ने भी उनमें को दिलचस्पी नहीं दिखाई और उनकी जगह विद्यावती पर दाव लगाया।

महिला कार्ड

सुरेंद्र सिदार ने भी माहौल को समझकर टिकट के लिए तगड़ी दावेदारी पेश की थी। रायपुर से दिल्ली तक काफी जुगत और भागदौड़ भी की थी। लेकिन भाजपा द्वारा महिला प्रत्याशी की घोषणा के बाद से ही उनकी दावेदारी पर ग्रहण लगना शुरू हो गया था। कांग्रेस ने भी महिला बनाम महिला की नीति पर भरोसा जताया और विद्यावती को टिकट दी। नतीजा यह हुआ कि सुरेंद्र सिद्धार्थ नाराज हो गए और बागी बनाकर सार्वजनिक रूप से निर्दलीय चुनाव लड़ने की घोषणा कर दी। उनकी बगावत पार्टी के लिए आगे जाकर बहुत बड़ा सिर दर्द होने वाली है। राजनीतिक जानकारों के मुताबिक मामला पिछली बार रायगढ़ विधानसभा की तरह त्रिकोणीय भी हो सकता है।

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