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सोगड़ा आश्रम जशपुर में होगा विलुप्त होती देशी नस्ल की पुंगनूर गाय का संरक्षण! देखने में छोटी और बेहद खूबसूरत होती हैं यह गाय..

सोगड़ा, जशपुर। पुंगनूर देशी नस्ल की गाय आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले के पुंगनूर गांव में पैदा हुई थी। इसलिए इसे पुंगनूर गाय बोला जाता है। यह विशेष नस्ल की गय इस समय दुर्लभ है। इसमें भैंस के दूध के बराबर ही फैट पाया जाता है। डॉ. कृष्णम राजू ने जशपुर के सोगड़ा आश्रम में पुंगनूर नस्ल की एक गाय और एक सांड इस देशी नस्ल के संरक्षण के लिए उपहार दिया है। इसकी कीमत 2 लाख तक है।

आमतौर पर गाय के दूध में तीन फीसदी तक ही फैट होता लेकिन इस गाय के दूध में आठ फीसदी तक फैट होता है। बता दें कि दिखने में यह काफी खूबसूरत है। लोग पुंगनूर बछिया को देखकर खुद को इसकी तारीफ करने से नहीं रोक पा रहे हैं। इसकी लंबाई सिर्फ तीन से चार फीट और वजन 150 से 200 किलो होता है। पंगनूर गाय एक दिन में चार से पांच लीटर हाई मिल्क देती है।

सोगड़ा आश्रम जशपुर में होगा विलुप्त होती देशी नस्ल की पुंगनूर गाय का संरक्षण! देखने में छोटी और बेहद खूबसूरत होती हैं यह गाय..
गुरुपद बाबा संभव राम जी के साथ पुनगुर गाय

विलुप्त होती नस्ल है पुंगनूर

इस यह नस्ल विलुप्त होने के कगार पर आ गई है। पुंगनुर गाय जो अपनी छोटे कद के लिए मशहूर है। कृष्णम राजू इसी नस्ल का संरक्षण कर रहे हैं। डॉ. कृष्णम राजू बताते हैं कि शुरू से ही मुझे गायों से लगाव था। फिर मुझे पुगनूर के बारे में पता चला। शुरू में एक गाय लेकर आया। इसके बाद गुंटूर के सरकारी फार्म में इसका कृत्रिम गर्भाधान कराया। इसके बाद से इनकी संख्या बढ़ने लगी हैं।सोगड़ा आश्रम के मानस के अनुसार डॉ कृष्णम राजू उनकी गोशाला दुनिया की सबसे बड़ी पुंगनूर नस्ल की गोशाला है। वो बताते है कि यहां पर 300 से अधिक पुंनगुर गाय हैं। यह पुनगुर गाय की सबसे बड़ी गौशाला है।

आंध्रप्रदेश की सरकार चला रही मिशन पुंगनूर

सरकारी डाटा के मुताबिक गाय की पुंगनूर नस्ल विलुप्त होने की कगार पर है भारत में मुश्किल से अब एक हजार पुंगनूर नस्ल की गायें ही बची हैं। इसलिए सरकार मिशन पुंगनू चला रही है ताकि पुंगनूर गाय को बचाया जा सके। यह गाय दिनभर में केवल पांच किलो चारा खाकर पांच लीटर तक दूध दे सकती है।

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