शहर में कौन पी गया ‘अमृत मिशन’ का ‘अमृत’.. और क्यों.. आज दो प्रमुख अखबारों की बनी फ्रंट पेज न्यूज़..??

रायगढ़। अमृत मिशन! नाम सुनकर काफी अच्छा लगता है!योजना भी काफी अच्छी है! इसका धेय्य भी काफी अच्छा है कि हर घर तक साफ पानी पहुंचाना! रायगढ़ वासियों ने इसके लिए बहुत परेशानी भी झेली है.. इसकी पाइपलाइन बिछाने के नाम पर नई नवेली सड़कों को भी खोदा गया..! कई इन गड्ढों में गिरे हैं.. सड़कों पर धूल खाई है..! तो कभी इसके बहते पानी में गिरे भी हैं! शहर वालों ने सब कुछ बर्दाश्त किया सिर्फ इस आस में कि 24 घंटे साफ पानी मिलेगा.. बदले में पैसे देने को भी तैयार है! मगर धरातल पर सच्चाई निकली कि शहर की लगभग आधी आबादी को कहीं आधा घंटा.. कहीं 20 मिनट ही पानी मिल पाता है। ऐसा क्यों हुआ..??
कई दिनों से सोशल मीडिया और आज जिले के दो प्रमुख अखबारों की फ्रंट पेज न्यूज़ बनी है अमृत मिशन… और इस योजना का टॉर्चर झेल रहे आम नागरिक की परेशानियां भी दोनों अखबारों ने बयां की है..


देखा जाए तो इतनी महत्वपूर्ण और बुनियादी योजना का फेल हो जाना.. नगर निगम का फेल हो जाना है! शहर सरकार का फेल हो जाना हैं! अगर मुख्य बिंदुओं पर बात की जाए तो इस योजना को बर्बाद करने का पूरा श्रेय निगम प्रशासन और शहर सरकार का नासमझी से ओतप्रोत तुगलकी निर्णय हैं। इसके फेलियर के मुख्य पॉइंट पॉइंट्स को समझे तो..
सबसे पहला नगर निगम का पैसे कमाने की होड़ में अमृत मिशन को चालू कर दिया गया मगर इसके साथ दूसरी वैकल्पिक व्यवस्था को.. वो जल आवर्धन योजना; जिसके तहत पूरे शहर को कई बोरवेल्स के माध्यम से सालो तक पानी की सप्लाई की जाती थी.. उसे बंद करने का ऐलान कर दिया गया ! कहीं पर धीरे-धीरे.. तो कहीं एकमुश्त खत्म कर दिया गया! उन्हें लगा कि “अमृत मिशन” के नाम में स्वयं ‘अमृत’ है तो वह कभी मृत हो ही नहीं सकता! कभी बीमार नहीं पड़ सकता! यही वजह है कि आज जब अमृत मिशन का सिस्टम फैल दिख रहा है तो लोग त्राहिमाम कर रहे हैं। निगम प्रशासन हाथ खड़े कर कह रहा है “अब हम क्या कर सकते हैं..??”
इसकी दूसरी सबसे बड़ी वजह शहर के प्रदूषित नाले और नदी। रायगढ़ कागजों में काफी साफ सुथरा है.. कागजों में यहां की नदियां एकदम स्वच्छ है.. कागजों में यहां के उद्योग भी काफी ईमानदार हैं.. पूरी निष्ठा से पर्यावरण नियमों का पालन करते हैं! वह तो दूसरे ग्रह के वासी रात में आकर आप की छत और आपकी नदियों में काला डस्ट और राखड़ डाल देते हैं। शायद ऐसा ही कुछ सोचकर अमृत मिशन के लिए साफ पानी बनाने के वाली फिल्टर प्लांट की नींव रखी गई होगी! मगर सच्चाई यह है कि नदी का पानी ईतना गंदा हैं कि उसे साफ करने के लिए इस योजना के लिए बनाए गए फिल्टर प्लांट का दम निकल जाता है। प्लांट शहर वालों के लिए इतना भी साफ पानी नहीं बन पाता की टंकी पूरी भरी जा सके.. जब टंकी नहीं भरेगी तो घरों तक पानी कैसे पहुंचेगा..?? और यही फेल हो गया अमृत मिशन..??
तीसरी है कि निगम प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की उदासीनता। इसके बारे में रायगढ़ की जनता भली-भांति जानती है, अब तो कोई उम्मीद भी नहीं करती.. मगर उनकी भी मजबूरी है किसी ना किसी को तो वोट देना ही है..?? शायद यही वजह है कि इसके पहले के चुनावो में कांग्रेस और भाजपा दोनों पर एक एक बार चांस देने के बाद यहां की जनता जनार्दन ने गुस्से में आकर एक निर्दलीय किन्नर उम्मीदवार को जिता कर दोनों पार्टियों को आईना दिखाया।
अंत मे..
अगर आपको मतलब आम जनमानस यह जानना है की अमृत मिशन का अमृत किसने पीया..?? अगर सभी कारणों को विस्तार पूर्वक जानना है… तो नीचे हम रायगढ़ के दोनों प्रमुख अखबारों की पीडीएफ कॉपी की लिंक दे रहे हैं! इसे डाउनलोड कीजिए… इसे पढ़िए… इस पर चर्चा कीजिए और एक बार फिर चुनाव आने वाले हैं…! वह अपनी रणनीति बनाएंगे आप अपनी रणनीति बनाइये..!!