क्या कांग्रेस तोड़ पाएगी रायगढ़ का चुनावी पैटर्न और टोटका..?

देखा जाए तो रायगढ़ विधानसभा एक सामान्य सीट है या फिर इसे अनारक्षित भी कह सकते हैं। इस बार भाजपा ने यहां से पूर्व IAS ओपी चौधरी को जो पिछड़ा वर्ग से आते हैं, उनको अपना उम्मीदवार बनाया है। यहां वर्तमान विधायक कांग्रेस से प्रकाश नायक है। जो पिछड़ा वर्ग से आते हैं। पिछड़ा वर्ग होने के साथ-साथ प्रकाश नायक और ओपी चौधरी एक ही अघरिया कम्युनिटी से भी हैं।
अघरिया वर्सेस अघरिया..?
इस बार रायगढ़ में चुनाव अघरिया वर्सेस अघरिया होता दिखाई दे रहा है। क्योंकि कांग्रेसी खेमे से वर्तमान विधायक प्रकाश नायक की टिकट भी कंफर्म मानी जा रही है। रायगढ़ के 2,54000 की जनसंख्या के आंकड़ा को देखा जाए तो रायगढ़ विधानसभा की कुल 4.5% आबादी ही अघरिया हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 10 से 12 हजार की आबादी इस समाज की है। जो फिलहाल नायक और चौधरी खेमों में बढ़ता दिखाई दे रहा हैं। ऐसे में यहां यह देखना लाजमी होगा कि कांग्रेस इस सामान्य सीट से अघरिया वर्सेस अघरिया की जंग करवाएगी या फिर पिछली बार की तरह कुछ नया जातिगत कार्ड खेलेगी। फिलहाल अभी तक तय नहीं है… सस्पेंस बरकरार है…कि कांग्रेस के रायगढ़ विधानसभा से कौन प्रत्याशी होंगे..? मौजूदा हालातो को देखा जाए रायगढ़ विधानसभा का इस बार चुनाव बड़ा मजेदार तो होगा ही पर यह मतदाता के लिए बड़ा रोचक होने वाला हैं।
क्या इस बार टूटेगा टोटका
छत्तीसगढ़ गठन के बाद रायगढ़ विधानसभा मे दोनों ही पार्टियों के लिए एक बहुत बड़ा टोटका है। यहां बड़े-बड़े नेता- मंत्री भी अपनी सीट नहीं बचा पाए। छत्तीसगढ़ गठन के बाद सिटिंग एमएलए की टिकट रायगढ़ में कभी नहीं काटी गईं है मगर.. सिटिंग एमएलए कभी जीत भी नहीं पाया है चाहे वह मंत्री पद पर भी क्यों ना रहा हो।सबसे पहले कांग्रेस के मंत्री 2003 में कृष्ण कुमार गुप्ता हारे जो सिटिंग एमएलए थे। लिस्ट में इसके बाद भाजपा के विजय अग्रवाल, फिर कांग्रेसी मंत्री स्व. शक्राजित नायक वही उसके बाद भाजपा के स्वर्गीय रोशन लाल का नाम आता है। ऐसे क्या प्रकाश नायक और कांग्रेस मिलकर सिटिंग एमएलए की हार का टोटका तोड़ पाएंगे..??