आरक्षण बिल पर राज्य सरकार और राजभवन में ठनी! मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने राज्यपाल के विधिक सलाहकार को बताया भाजपाई! कहा.. क्या विधानसभा से भी ऊंचा है विधिक सलाहकार..?? और भी बहुत कुछ, जानिये डिटेल में

छत्तीसगढ़ में 76% आरक्षण बिल विधानसभा में तो पास हो चुका है मगर राज्यपाल के हस्ताक्षर के लिए यह बिलअटका पड़ा है। आरक्षण को लेकर राज्य सरकार और राजभवन में मतभेद खुलकर सामने आ रहे हैं। राजभवन ने इसे विधिक सलाह के लिए रोक कर रखा है। इस पर आज बेमेतरा विधानसभा से भेंट मुलाकात के बाद पत्रकार वार्ता में भूपेश बघेल ने राज भवन पर जमकर अपनी खीज निकाली हैं। उन्होंने राज्यपाल के विधिक सलाहकार को भारतीय जनता पार्टी का बता दिया। उन्होंने कहा कि राज्यपाल के पास तीन ही विकल्प हैं या तो वह बिल को वापस कर दें या राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के लिए भेजें या फिर अनंत काल के लिए अपने पास रखे रहे।
मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा- अब तक आरक्षण विधेयक राजभवन से हस्ताक्षर के बाद हमारे पास नहीं आया है। अब राज्यपाल के पास तीन विकल्प हैं… या तो वो विधेयक वापस करें यदि संतुष्ट नहीं हैं तो, दूसरा कि राष्ट्रपति को भेज दें, या फिर अनंतकाल तक अपने पास रखें, जब तक वो राज्यपाल है तब रख सकती हैं अपने पास। हमसे जो सवाल पूछे गए थे हम जवाब दे चुके हैं जबकि वो संवैधानिक नहीं था ।
भूपेश बघेल ने कहा- राज्यपाल को संतुष्ट नहीं होना है जो उनको जवाब देना था, जानकारी देनी थी दे दिया गया। अब संतुष्ट होना ही नहीं है, तो क्या करें, अब हो सकता है कि दूसरे सवाल पूछेंगे मतलब उनको वापस करना नहीं है, राष्ट्रपति को भेजना नहीं है, प्रश्न पूछने का बहाना है ताकि लोगों को बता सकें कि हमने सवाल पूछा है, पूछ लें मैं फिर जवाब दूंगा। मेरा सवाल भाजपा के लोगों से भी है कि राज्यपाल को विधेयक पर हस्ताक्षर करने कब कहेंगे।
मामला
19 सितंबर को छत्तीसगढ़ में आरक्षण को खारिज करते हुए हाईकोर्ट के फैसले के बाद छत्तीसगढ़ विधानसभा ने आरक्षण बिल पारित किया था। जो 2 दिसंबर को राजभवन प्राप्त राज्यपाल के हस्ताक्षर के लिए गया था। छत्तीसगढ़ लोक सेवा (अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के लिए आरक्षण) संशोधन विधेयक और शैक्षणिक संस्था (प्रवेश में आरक्षण) संशोधन विधेयक पारित हुआ है। इन दोनों विधेयकों में आदिवासी वर्ग-ST को 32%, अनुसूचित जाति-SC को 13% और अन्य पिछड़ा वर्ग-OBC को 27% आरक्षण का अनुपात तय हुआ है। सामान्य वर्ग के गरीबों को 4% आरक्षण देने का भी प्रस्ताव है। इसको मिलाकर छत्तीसगढ़ में 76% आरक्षण हो जाएगा।