फायनेंस कंपनी वाहन जप्त करके ले गई, अब परिवहन विभाग का टैक्स कौन अदा करेगा?

इस परिस्थिति में पंजीकृत वाहन स्वामी को आखिर करना क्या चाहिए ?
फायनेंस कंपनी से वाहन को फायनेंस/हायर परचेज पर खरीदा जाता हैं। ईएमआई अदा नहीं करने पर वाहन को कंपनी जप्त करके ले गई। करीब 02 साल बाद परिवहन विभाग को नोटिस आया तो वाहन मालिक पर निकले 02 लाख रूपए का टैक्स बकाया हैं। विधि एवं न्याय का सवाल यह हैं कि अब परिवहन विभाग का टैक्स अदा कौन करेंगा?
भारत में व्यवस्था कुछ एैसी हैं कि फायनेंस कंपनियॉ किसी कानून को मानती ही नहीं हैं और गैर कानूनी तरीके से वाहन को पुलिस की मिलीभगत से जप्त करके ले जाती हैं। कुछ मामलों में यह भी देखने में आया हैं कि फायनेंस कंपनियॉ चैंक बाउंस का मुकदमा लाती हैं और मध्यस्थता एवं सुलाह कानून 1996 में एक अवार्ड भी पारित करवाकर वसूली की कार्यवाही भी करती हैं। फायनेंस कंपनियॉ वाहनों को जप्त करने में कानून की कागजी कार्यवाही का पालन नहीं करती हैं, सुप्रीम कोर्ट के दिशा निर्देशों का पालन नहीं करती हैं। वाहन स्वामी पर 02 साल बाद चैंक बाउंस का मुकदमा आता हैं तो 05 साल बाद मध्यस्थता एवं सुलाह अधिनियम 1996 का मुकदमा आ जाता है। फायनेंस कंपनी से ऋण लेकर वाहन खरीदनें वाले व्यक्ति को इन दोनो कानून का सामना करने के लिए सदैव तैयार रहना चाहिए जबकि आपका वाहन फायनेंस कंपनी द्वारा जप्त कर लिया गया हैं। इसके बाद परिवहन विभाग का टैक्स बकाया का नोटिस आाता हैं।
परिस्थितियां
फायनेंस कंपनी से ऋण लेते समय कंपनी की सभी शर्तो को स्वीकार करना होता हैं, कुछ शर्ते जायज होती हैं तो कुछ शर्ते नाजायज भी होती हैं। ऋण लेने वाला व्यक्ति बहुत मजबूर होता हैं, वह ऋण अनुबंध पत्र पर हस्ताक्षर कर देता हैं। फायनेंस कंपनी ऋण अनुबंध पत्र कभी भी ऋणी व्यक्ति को देती नहीं हैं, ऋणी व्यक्ति कभी अनुबंध पत्र को पढ़ता तक नहीं हैं, अगर पढ़ता भी है तो उसे समझ में आता नहीं हैं। अनुबंध अंग्रेजी भाषा में तैयार किया जाता है। इसे एक वकील ही पढ़कर समझ सकता है।
राज्य सरकार का परिवहन विभाग टैक्स की वसूली तो हर हाल में करेगा लेकिन वाहन मालिक के पास तो वाहन नहीं हैं, वाहन को फायनेंस कंपनी जप्त करके ले गई हैं और यहां तक कि उस वाहन को किसी अन्य व्यक्ति को बेच दिया गया हैं। जिसके द्वारा वाहन का नामांतरण नहीं करवाया गया हैं। तहसीलदार वाहन स्वामी को नोटिस देकर संपत्ति को कुर्क करने की कार्यवाही कर रहे हैं। इस दशा में वाहन स्वामी को क्या करना चाहिए?
वाहन स्वामी को चाहिए कि फायनेंस कंपनी के ऋण अनुबंध पत्र एवं फायनेंस कंपनी के जप्ति पत्रक के साथ परिवहन विभाग को लिखित में सूचित करें कि फायनेंस कंपनी वाहन द्वारा वाहन को जप्त कर लिया गया था तथा उसके द्वारा अपने अंश का टैक्स अदा किया गया हैं, वाहन का बाकी का टैक्स मुझसे वसूला नहीं जाए मुझे छूट प्रदान की जाए। परिवहन विभाग पर निर्भर करता हैं कि वह आपको बाकी टैक्स से छूट प्रदान करें अथवा नहीं करें।
वाहन स्वामी को चाहिए कि अगर वाहन को फायनेंस कंपनी द्वारा जप्त कर लिया गया हैं तो परिवहन विभाग के तत्काल लिखित में सूचित करें और अपने अंश का टैक्स अदा करें। वाहन चोरी चला गया हैं अथवा वाहन दुर्धटना में पूर्ण क्षति हुई तब भी परिवहन विभाग को सूचित किया जाना चाहिए ताकि परिवहन विभाग के टैक्स की गणना पर रोक लग सकें। साथ में पुलिस को सूचना दें ताकि भविष्य में कोई संकट खड़ा ना हो सकें।
फायनेंस कंपनी ने वाहन को जप्त करके ले गई हैं तो उस दिनांक से फायनेंस कंपनी ही जिम्मेदार हैं। फायनेंस कंपनी के हायर परचेस एग्रीमेंट में इस संबंध में एक शर्त लिखी होती हैं। जिसमें यह कहा जाता हैं कि वाहन को जप्त करने की दशा में कंपनी के द्वारा ही उसके विक्रेता का नामांतकरण करवाया जायेगा। इसलिए जब तक वाहन कंपनी के कब्जे में हैं, कंपनी को ही परिवहन का टैक्स अदा करना होगा। पंजीकृत वाहन स्वामी को यह देखते रहना चाहिए कि वाहन का नामांतरण हुआ हैं अथवा नहीं हुआ हैं। इस संबंध में फायनेंस कंपनी के विरूद्ध पैरवी करने के अभ्यस्थ वकील से संपर्क करना चाहिए।
Article written by Adv . S . K . Ghosh
