- बिना अनुमति, बिना विधिवत प्रक्रिया के टेंडर किये डीडीए ने अपने कार्यालय में लगभग 16 लाख रुपए किया व्यय
- कलेक्टर से शिकायत के बाद इसकी जांच में गड़बड़ी की पुष्टि आई सामने
- कलेक्टर ने डीडीए पर कार्यवाही के लिए सचिव से की अनुशंसा
- डीडीए ने प्रशासनिक सक्षम अधिकारी से राशि स्वीकृति के लिए अनुमति व स्वीकृति लेना जरूरी नहीं समझा
रायगढ़ 18 अगस्त। छत्तीसगढ़ का रायगढ़ एक बार फिर एक सरकारी अधिकारी के कारण फर्जीवाड़े के कारण चर्चा में है। इस बार गड़बड़ी का मामला कृषि विभाग से जुड़ा है। यहां पदस्थ डीडीए ललित मोहन द्वारा लाखों रुपए की अनियमितता बरतने का खुलासा हुआ है।
रायगढ़ कलेक्टर ने सचिव को कार्यवाही हेतु की अनुशंसा
रायगढ़ कलेक्टर द्वारा कृषि विभाग के सचिव को लिखे अनुशंसा पत्र में बताया गया है कि उनसे डीडीए ललित मोहन की शिकायत हुई थी। जिसमें आरोप लगाया गया था कि चुनाव आचार संहिता के दौरान कार्यालय में बिना टेंडर, बिना सक्षम अधिकारी की अनुमति के लाखों रुपए खर्च कर दिए गए। कलेक्टर भीम सिंह ने इसकी जांच के आदेश दिए थे। जांच रिपोर्ट में इस बात की पुष्टि भी हुई है।
जांच में पता चला कि कार्यालयीन व्यवस्था, मरम्मत एवं सामग्री क्रय के लिए आकस्मिक निधि से 7,76,522 रुपए का भुगतान किया गया। मामले की शिकायत हुई तो कलेक्टर ने इसकी जांच करवाई, जिसमें गड़बड़ी होने की पुष्टि हो गई। अब रायगढ़ कलेक्टर भीम सिंह ने डीडीए ललित मोहन पर कार्रवाई करने के लिए कृषि विभाग के सचिव से अनुशंसा की है। रायगढ़ कलेक्टर ने इस अनियमितता पूर्ण कार्य के लिए डीडीए ललित मोहन भगत को दोषी माना है। उन्होंने वित्तीय अनियमितता पाए जाने के कारण डीडीए के विरुद्ध नियमानुसार अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की अनुशंसा की है।
कोटेशन में दुकान संचालकों का दस्तखत नहीं होना संदेहास्पद है
कोटेशन प्रक्रिया से यह काम छत्तीसगढ़ प्लायवुड़ और दीपक शर्मा का चयन कर दिया गया। दोनों को क्रमश: 6,44,522 रुपए और 1,32,000 रुपए का भुगतान किया गया है। छत्तीसगढ़ प्लायवुड़, जिंदल प्लायवुड कोटेशन व वर्क ऑर्डर के पत्रों में जावक क्रमांक के साथ ए का प्रयोग किया गया है। जो संदेहास्पद है और तो और कोटेशन देने वाले संचालकों का कोटेशन में दस्तखत ही नहीं है। डीडीए ने दफ्तर में ग्लास, फर्नीचर युक्त चेम्बर और केबिन निर्माण का काम करवाया था। जिसमें बिना अनुमति के 16 लाख खर्च करने का आरोप है।
एक ही जावक क्रमांक से तीन कोटेशन
डीडीए ललित मोहन के विरुद्ध दूसरे जिलों में भी कई जांच की गई थी। रायगढ़ में उन्होंने अपने कार्यालय को सजाने और संवारने के लिए लाखों रुपये फुंक दिए, वो भी आचार संहिता के दौरान..! कोटेशन के लिए जारी पत्र में काफी कमियां थी क्योंकि तीनों फर्म को भेजे गए पत्रों के जावक क्रमांक एक ही है। कोटेशन के लिफाफे भी संलग्न नहीं है। चुपचाप एक ही व्यक्ति को काम देने के लिए इस तरह का तरीका अपनाया जा रहा है
क्या कहते हैं कलेक्टर
जांच रिपोर्ट में डीडीए ललित मोहन भगत द्वारा की गई वित्तीय अनियमितता उजागर हुई है इसके आधार पर कार्यवाही हेतु सचिव से अनुशंसा की गई है :- भीम सिंह कलेक्टर रायगढ़ छ. ग.
डीडीए ने लगभग 16 लाख खर्च करने के लिए स्वीकृती लेना जरूरी नहीं समझा
कृषि विभाग के दफ्तर को चमकाने के लिए दो वर्क ऑर्डर जारी किया है। पहला वर्क ऑडर 26 अक्टबूर 2018 तो दूसरा 3 नवंबर 2018 को जारी हुआ। इस दौरान प्रदेश में विधानसभा चुनाव के लिए आचार संहिता लागू थी। शिकायत पर रायगढ़ कलेक्टर की ओर से डीडीए को स्पष्टीकरण मांगा गया तो पूरे काम के लिए 11 लाख 70 हजार 241 रुपए व्यय होने की जानकारी दी गई। इतनी राशि व्यव करने के बावजूद डीडीए ने सक्षम अधिकारी की प्रशासनिक, वित्तीय एवं तकनीकी स्वीकृति लेना जरूरी नहीं समझा, जबकि खुली अनुमति लेने के बाद खुली निविदा मंगवाई जानी थी। प्रक्रिया के पालन संबंधी कोई दस्तावेज प्रस्तुत नहीं किए गए।
आचार संहिता के दौरान हुआ खर्च
डीडीए ललित मोहन द्वारा केवल कृषि विभाग के अपने दफ्तर को सजाने के लिए सरकारी खजाने से लगभग 16 लाख रुपए खर्च कर दिए। वह भी विधानसभा चुनाव आचार संहिता के लागू होने के दौरान। खास बात यह है कि कोटेशन के लिए जारी भी पूरी तरह से गलत है क्योंकि जिन तीन फर्म को पत्र भेजे गए है उन सभी में जावक क्रमांक एक ही है। कोटेशन के लिफाफे भी संलग्न नहीं किया गया है। गुपचुप तरीके से एक ही व्यक्ति को काम देने के लिए इस तरह का रास्ता अपनाया जाता है। डीडीए ने जिस प्रकार से जनता की गाढ़ी कमाई को अपने कार्यालय में बेफालतू का उड़ाया है उसे नजर अंदाज नहीं किया सकता है।