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छत्तीसगढ़ी के अलावे 5 अन्य भाषाओं में रिलीज़ होगी दंतेला! रायगढ़ के बेटे डॉ. शांतनु ने किया है दंतेला का निर्देशन और लेखन..

  • जल संरक्षण पर आधारित फिल्म दंतेला 21 जून से सिनेमाघरों में
  • डॉक्टर्स ने क्राउड फंडिंग के जरिए बनाई हॉरर- ड्रामा फिल्म दंतेला
  • रायगढ़ के बेटे डॉ. शांतनु ने किया है दंतेला का निर्देशन और लेखन
  • छत्तीसगढ़ी के अलावे 5 अन्य भाषाओं में बाद में रिलीज़ होगी दंतेला
  • फिल्म के टीजर और गाने ने मचाई धूम

रायगढ़। जल संरक्षण पर आधारित बहुप्रतीक्षित छत्तीसगढ़ी फिल्म दंतेला 21 जून को सिनेमाघरों में रिलीज होगी। हॉरर-ड्रामा जॉनर की फिल्म दंतेला 5 अन्य भाषाओं हिंदी, ओडिया, भोजपुरी, तमिल और तेलुगु में बाद में रिलीज होगी। फिल्म के ट्रेलर रिलीज से पहले टीजर और गाने पूरे मध्य भारत में धमाल मचाए हुए है। फिल्म के गीत-संगीत ठेठ छत्तीसगढ़ी विधा में रचे गए हैं जो कि फिल्म का सबसे बड़ा आकर्षण है।

कहानी सत्य घटना पर आधारित

कहानी सत्य घटना पर आधारित लोक कथा पर है जिसमें स्थानीय किवंदतियां पीढ़ी दर पीढ़ी कैसे अंधविश्वास का रूप ले लेती हैं इन्हीं की परतों को खोलते और सच्चाई सामने लाती है दंतेला। फिल्म के मूल में जल संरक्षण है जिसे लोगों को समझाने के लिए क्रिएटिव लिबर्टी फिल्म मेकर्स ने ली है और उम्दा सिनेमैटोग्राफी और कथानक से पेश की है। पहली बार किसी छत्तीसगढ़ी फिल्म में इतनी डिटेलिंग की गई है, फिर चाहे वह सूखा का दृश्य दिखाना हो या फिर 1942 के प्लॉट को। इस कारण फिल्म समीक्षक दंतेला को अभी से छत्तीसगढ़ी सिनेमा में एक मील का पत्थर मान रहे हैं क्योंकि अपने बेजोड़ टीजर और गाने के अलावे यह पहली छत्तीसगढ़ी फिल्म है जो 6 भाषा में आएगी।

रायगढ़ के डॉ. शांतनु है डायरेक्टर

अरिहान फिल्म्स के बैनर तले बनी फिल्म दंतेला के लेखक व निर्देशक डॉ. शांतनु पाटनवार (शानू ) हैं। शानू का जन्म रायगढ़ में हुआ है और प्राथमिक शिक्षा भी कार्मेल स्कूल में हुई है। इनके पिता सिद्धेश्वर पाटनवार सिंचाई विभाग में इंजीनियर थे। शांतनु को बेस्ट डेब्यू डायरेक्टर और बेस्ट डायलॉग राइटर का छत्तीसगढ़ी फिल्म अवार्ड मिला है। शानू ने 2021 में आई छत्तीसगढ़ी फिल्म कुरुक्षेत्र का निर्देशन किया था। केजीएफ 2 के शूटिंग को देखने के लिए उन्हें विशेष तौर पर आमंत्रित किया गया था।

डॉक्टर की टीम ने क्राउड फंडिंग की

दंतेला की कहानी बलरामपुर के चरचरी गांव की है जहां फ़िल्म के कुछ हिस्से फिल्माए गए हैं बाकी फिल्म का ज्यादातर हिस्सा रायपुर के समीप खमतराई में शूट किया गया है। वहां चरचरी गांव को रिक्रिएट किया गया और सालभर की शूटिंग में दंतेला बनी।
डॉक्टर्स की टीम ने क्राउड फंडिंग और अपनी बचत लगाकर फिल्म का निर्माण किया है। संभवत: यह देश की पहली फिल्म होगी जिसमें प्रोफेशनल डॉक्टर्स कैमरा थामे, संगीत देते, एक्टिंग करते व प्रोड्यूस करते नजर आ रहे हैं।

लीड एक्ट्रेस मुंबइया बाकी सब छत्तीसगढ़िया

फिल्म की पूरी टीम में छत्तीसगढ़िया लोग ही हैं सिर्फ लीड एक्ट्रेस राया डिंगोरिया मुंबई से हैं। इनके अलावा एक्टर विशाल, डॉ. राज दीवान, ज्योत्सना, वीना सेंद्रे, अनिल सिन्हा, अमन सागर प्रमुख भूमिका में हैं। अंकित काठले व रवि पटेल के संगीत ने फिल्म में स्थानीयता भरी है। ऋषभ सिंह ठाकुर ने फिल्म के कुछ गाने लिखे व कंपोज किए हैं। प्रसिद्ध छत्तीसगढ़ी गायक संतोष यादव ने अपनी दमदार आवाज दी है। डॉ. शांतनु ने भी फिल्म के गाने लिखे हैं।

छत्तीसगढ़ी संस्कृति को समेटे

फिल्म के लेखक-डायरेक्टर डॉ. शांतनु पाटनवार कहते हैं कि दंतेला छत्तीसगढ़ी संस्कृति को समेटे हुए संपूर्ण फिल्म है। फिल्म के गीत और संगीत पारंपरिक हैं जिससे दर्शक चाहे सरगुजा का हो या जगदलपुर वह इनसे अपने आप को जरूर कनेक्ट करेगा। छत्तीसगढ़ी पारंपरिक वाद्य यंत्रों का प्रयोग जो हम अपने आसपास देखते हैं उसे बड़े पर्दे पर बजते और सुनते देखना सुखद अनुभव होगा। बिरहा, ददरिया के साथ रेट्रो, आइटम नंबर फिल्म में है जिसे सिचुएशन के अनुसार उपयोग किया गया है। हमने टाइप्ट सिनेमा मेकिंग नहीं की है। जो चीज वास्तव में जैसी दिखती है उसे वैसा ही पेश किया है। हमारे इसी प्रयोग को लोग कन्नड़ सिनेमैटोग्राफी से तुलना कर रहे हैं क्योंकि वहां भी ओरिजनल्स पर ही फोकस किया जाता है। हमने एक किंवदंती (लोक कथा) के मूल में जाकर उसे सामने लाया है। फिल्म के हर भाग पर सभी ने खूब मेहनत की है। टीजर और गाने को लोगों का खूब प्यार मिल रहा है। डॉक्टरी पेशे के साथ हम आने वाले दिनों में और फिल्में लाएंगें फिलहाल दंतेला के रिलीज पर हमारी निगाहें टिकी हैं।

शूटिंग रही चुनौतीपूर्ण

दंतेला की अधिकतर शूटिंग खमतराई में हुई। जहां बीते साल पारा 46 डिग्री पर कुछ दिन तक ठहर गया था। फिल्म में ठेठ ग्रामीण परिवेश को दिखाना था जहां के लोगों के पैर में चप्पल नहीं होते। नंगे पैर शूटिंग में सभी कलाकारों के पैरों में छाले पड़ गए। वहां पंखा भी काम नहीं कर रहा था। डिहाइड्रेशन का शिकार तो लगभग सभी हुए। फिर इसके बाद बारिश हुई तो हरियाली में सूखे के शॉट लेने में शूटिंग में देरी हुई और बजट भी बढ़ता गया। क्राउड फंडिंग से बन रही फिल्म में बजट की दिक्कत भी आई लेकिन टीम सभी पेरशानियों से धीरे-धीरे बाहर निकली। शूटिंग के बाद पोस्ट प्रोडक्शन पर काफी काम हुआ, जिसके कारण फिल्म की डिटेलिंग बेहतर हुई है।

काली आवत हे लोगों की जुबां पर छाया

नवरात्रि में दंतेला का पहला गाना काली हावत हे को जारी किया गया। जारी होने के 3 दिन में ही 30 लाख से अधिक लोगों ने इसे देखा। प्रदेश के हर लोगों के मुंह पर यह गाना छा गया है। दूसरे राज्यों में भी इस गाने को टीजर के साथ काफी सराहना मिल रही है। इंस्टाग्राम पर इसके काफी रील वायरल हो रहे हैं। कई मंदिरों में यह गाना बज रहा है और रामनवमी की शोभायात्रा में भी काली आवत हे गाना ध्वनि विस्तारक यंत्रों व म्यूजिक टावर में खूब चला। गाना स्थानीय भाषा में होने के साथ स्थानीय संस्कृति के रस में डूबा हुआ है।

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