रायगढ़: ताबूत से निकला सूबे के सबसे बड़ा आदिवासी जमीन घोटाला! खरसिया के कुनकुनी घोटाले की गूंज विधानसभा पर!! एक आदिवासी नेता के मौत के बाद.. दूसरे आदिवासी नेता और गृहमंत्री रहे ननकीराम कंवर ने उठाया न्याय का बीड़ा.. देखे एक्सक्लूसिव रिपोर्ट..

रायगढ़। रायगढ़ जिले की खरसिया ब्लॉक के कुनकुनी जमीन घोटाले की गूंज एक बार फिर से सूबे की सबसे बड़ी पंचायत छत्तीसगढ़ विधानसभा के पटल पर उतरी है। इस प्रश्न को उठाया है पूर्व भाजपा सरकार में गृह मंत्री जैसा बड़ा पद संभाल चुके तेजतर्रार आदिवासी नेता ननकीराम कंवर ने। उनके इस प्रश्न से ही ताबूत में दफन हो चुका छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा जमीन घोटाला बाहर आ चुका है।
रामपुर के विधायक ननकीराम कंवर ने ध्यानाकर्षण प्रश्न लगाया कि छत्तीसगढ़ राज्य में जब से कांग्रेस की सरकार आई है। आदिवासियों की स्थिति अत्यंत ही दयनीय हो गई है उनके जान माल की रक्षा करने वाला प्रदेश में कोई नही हैं।जिसका स्पष्ट उदाहरण रायगढ़ जिले के अंतर्गत खरसियां विधानसभा क्षेत्र में कुनकुनी जमीन घोटाला.. जो कि प्रदेश स्तर में बहुत ही प्रचारित रहा है। इस संबंध में राज्य सरकार के द्वारा खानापूर्ति के नाम पर कुनकुनी जमीन घोटाले की जांच करने हेतु रायगढ़ जिले के कलेक्टर को जांच हेतु निर्देशित किया गया था परंतु राजनैतिक दबाव के कारण वह जांच धुल खाते हुए जिला कलेक्टर कार्यालय रायगढ़ में जांच अधिकारियों के द्वारा उस जांच की फाइल को दबाकर रखा गया है। इस प्रकरण में केन्द्रीय आयकर विभाग के आर्थिक शाखा द्वारा जांच कर अपना जांच प्रतिवेदन कलेक्टर कार्यालय रायगढ़ में काफी लंबे समय से दिया जा चुका है। इससे यह प्रतित होता है कि वर्तमान में प्रदेश सरकार आदिवासियों के हित का संरक्षण नही कर रही है उल्टे आदिवासियों को लुटने और फर्जी मामलों में फंसाने का कृत्य किया जा रहा है। जिसके कारण प्रदेश की आम जनता एवं आदिवासियों के हितों का संरक्षण न होने के कारण शासन के प्रति अविश्वास एवं आकोश व्याप्त है।

गरीबी रेखा के कार्ड वाले ने खरीदी ली करोड़ों की जमीन..??
आपको बता दें कि यह यह घोटाला छत्तीसगढ़ का सबसे बड़ा जमीन घोटाला इसलिए बना क्योंकि यहां पर 300 से अधिक एकड़ के आदिवासी जमीन को हड़पने के लिए जमकर धांधलीबाजी हुई। जिसमें अनेक कारपोरेट घराने के नाम सामने आए थे। इस पूरे घोटाले का सबसे बड़ा पहलू यह था कि जिस आदिवासी ने यह जमीन खरीदी वह स्वयं ही एक बीपीएल कार्ड धारक रहा है। जिसको लेकर केंद्रीय केंद्रीय आयकर विभाग की के आर्थिक अपराध शाखा ने अपनी जांच में अनेक प्रश्न और प्रमाण प्रस्तुत किए थे। जिसके सभी दस्तावेज तत्कालीन जिला कलेक्टर रायगढ़ को जांच हेतु प्रेषित दिया गया था।

न्याय की लड़ाई लड़ते-लड़ते हो गई मौत..??
समय के साथ साथ यह मामला कारपोरेट घरानों के चांदी के जूतों के नीचे जब जरूर गया हो मगर तेजतर्रार आदिवासी नेता और विधायक ननकीराम कंवर नए प्रश्न को उठाकर आदिवासी समाज के तत्कालीन किसान नेता स्वर्गीय जयलाल राठिया को सच्ची श्रद्धांजलि दी है। आपको बता दें कि आदिवासी किसान नेता जयलाल राठिया ने इस पूरे मामले को जोर-शोर से उठाया था और कुछ महीनों के भीतर ही उनकी संदेहास्पद मौत हो गई। उनकी मौत ने आज भी ऐसे कई सवाल छोड़ रखे हैं जिसका जवाब किसी भी जांच रिपोर्ट या सरकार के पास नहीं है।
कलेक्टर का राजस्व विभाग देगा जवाब
ऐसा नहीं कि इस मामले में जय लाल राठिया ने संविधानिक लड़ाई नहीं लड़ी गई। इसके लिए उनके द्वारा तहसीलदार एसडीएम के न्यायालय से लेकर हाईकोर्ट तक न्यायिक प्रयास किया गया। लेकिन उनकी संदेहास्पद मौत के साथ ही सब कुछ ठंडे बस्ते में चला गया। कोई आवाज उठाने वाला जिंदा ही नहीं बचा। लेकिन इस मामले को फिर से एक आदिवासी नेता ने अपनी आवाज दी है। विधानसभा में उठे प्रश्न का रायगढ़ कलेक्टर का राजस्व विभाग क्या जवाब प्रस्तुत करता है..??